फुटपाथ से ऊपर मंजिल |

फुटपाथ से उपर मंजिल| कई बार लोग जब दूसरों को देखते हैं तो अक्सर ये सोचने को मजबूर हो जाते हैं लोग आमिर कैसे हो जाते हैं। जबकि हमारा फॅमिली उन से ज्यादा अमीर था ,हमारे पास सारी सुविधाएँ थी। फिर वो कैसे अमीर हो गया है.पहले तो वो गरीब था.अचानक ऐसा क्या हुआ। जो कल तक फुटफाट पे दुकान लगता था आज इतना ऊपर कैसे हो गया। आज मैं ऐसे एक लड़के की सक्सेस स्टोरी आप लोगों के साथ शेयर करने जा रहा हूँ।

मेरे ही मोहल्ले में का वो लड़का जिसका नाम श्याम है। कुछ सालों पहले उसके पापा फुटपाथ पे कपड़े बेचा करते थे। एक मैजिक गाड़ी के ऊपर कपडे डाल कर माइक लगा बेचा करते थे। बहुत ही हसमुख मिज़ाज़ के वो आदमी जिसके पास अगर आप एक बार चले गए तो बिना कपडे लिए आप आ नहीं सकते है। सयमित भाषा और ग्राहक को आकर्षित करने का तरीका लाजवाब है। दिनभर तपती गर्मी ,बारिश के मौसम के बारिश और जाड़े की कड़कड़ाती ठंड में इसी तरह कपडे बेचते रहना उनका काम हो गया था। बहार से माल लाना उसको एक दम कम कीमत पर बेचना उनका काम था। धीरे -धीरे अपने बेटे को इस धंधे में शामिल करने लगे। कुछ सालों तक ऐसी तरह चलता रहा फिर वो बेगूसराय से बलिया में अपना मैजिक गाड़ी लगाके उस पर कपडा बेचने लगे। वो बहार से कपड़ा लाने का कम करने लगे और श्याम गाड़ी पे कपड़ा बेचने लगा। कपड़ा बेचने के लिए स्टील के पाइप को जमीन गाड़ के उसके ऊपर कपडे टांग के बेचने लगा। जिस तरह उसके पिता जी ग्राहक बांधे रखते थे उसी तरह ये लोगों को आकर्षित करने लगा। कई बार -बार प्रशासन की गाड़ी आती और उनको रोड से हटा देते ,कभी बारिश कभी गर्मी इन सबों को झेलते रहते हुए अपना बिज़नेस बनाये रखा।

एक बार जो ग्राहक उसके पास आ जाता बिना कपड़े लिए जाता ही नहीं। 100 से लेकर 500 के कीमत वाले कपड़े ही उसके पास रखता था। पुरे मार्केट से कम कीमत पर प्रॉफिट के नाम पर मात्र 20 से 30 तक के मार्जिन पर कपडे बेचने लगा। धीरे -धीरे ग्राहक उसके परमानेंट ग्राहक में बदलने लगे। भले ही उसके ग्राहक को दिल्ली,मुंबई कहीं जाना हो या कपड़े उसी के यहाँ से खरदारी होगा। एक खास वर्ग के ग्राहकों पे उसका कब्ज़ा हो गया था। कई बार लोग जब कपड़े खरीदते हैं तो वो कभी – कभी छोटा या बड़ा हो जाता है। फिर उस कपडे को लौटने में दुकानदार ग्राहकों के बड़ी परेशानी करते हैं। पर इसके यहाँ ऐसी कोई बात नहीं है। आपको कपड़ा छोटा हो गया हो या बड़ा आप कभी भी आके बदल सकते हैं। चाहे ग्राहक एक महीने बाद ही क्यों नहीं आये बस कपङे जैसे ले गए थे वैसे ही वापस कर दीजिये। उसके जगह कोई और कपडा ले लीजिये। बस सुबह एक ग्राहक से खरीद होने के बाद।

कई बार तो ग्राहक को लगत से भी कम दाम में कपडे बेचना पड़ता था। लेकिन जो ग्राहक एक बार आ गया वो दुबारा कहीं नहीं जा सकता है। उसी फुटपाथ के बगल वाले मार्केट के लास्ट वाले बिल्डिंग में एक दुकान लिया। फिर एक लड़के को उस दुकान पे रखके खुद फुटपाथ वाले दुकान से ग्राहक को अंदर वाले दुकान पर भेजने लगा। जबकि उस मार्केट में एक भी दुकान कपडे का नहीं था। बहार से अंदर वाले दुकान पर ग्राहक को भेजता और ग्राहक को उसी कीमत पे कपड़े बेचने लगा ,ग्राहक भी खुश ये सोच कर हो जाते दुकान में उन्हें कपडे अच्छे से देख के लेने में आसानी होने लगी। धीरे -धीरे ग्राहक ही उसका प्रचार करने लगे मात्र 3 साल के अंदर उसके दुकान खुलने से पहले ही ग्राहक दुकान पर पहुँचने लगे।

जिस मार्केट में पहले एक भी कपडा दुकान नहीं था उसको देखते हुए आज कम से कम 12 दुकान सिर्फ कपडे के खुल गए हैं। उसी फुटपाथ की बदौलत आज उसके पास 5 लड़के काम करते हैं और मार्केट में 4 दुकान का मालिक भी है। बलिया में जमीन ख़रीदा बेगूसराय अपना घर बनाया। आज ये हालत है की उसका दुकान खुलने से पहले उसके ग्राहक पहुँच जाते हैं। पर्व,त्यौहार पर इतना भीड़ लगता है रात के 12 बजे तक फुर्सत नहीं होता है। दिल्ली सेल के नाम से मशहूर उसका दुकान जो फुटपाथ से आज लोगों के जुबान पे छा गया है।

उसकी माँ जो खाना परिवार के लिए बनाती है वही खाना वो अपने काम करने वाले लड़कों भी देते है। जितने भी लड़के उसके यहाँ काम करते हैं सबको बराबर मानते है। उनके हाँथो खाना लाजवाब बनता है।

जाने क्यों आज दिल्ली सेल ने इतना तरक्की किया।

जब आदमी किसी काम को मन लगाके करने लगता है तक़दीर भी उसका साथ देती है।

हमेशा मार्किट में अपडेट रहना पड़ता है। लड़कों में हमेशा नये कपड़ों की माँग रहती है।

ग्राहक आपकी सबसे बड़ी पूँजी है इसे बनाके के रखिये। हर केटेगरी के लोगों अपना-अपना एरिया होता है। किसी एक केटेगरी पर फोकस रहिये।

ग्राहक को हमेशा खुश रखिये। जब वो आप के दुकान पे आये तो उसे ये कभी फील नहीं होना चाहिए की वो किसी दूसरे जगह है। हमेशा ऐसा लगे की ये दकानदार मेरा है।

कई बार सिर्फ लोग दुकानदार के नाम पे भी कपड़ा खरीद लेते। एक विश्वास पे।

अगर ग्राहक आप से एक बार संतुष्ट हो गया तो खुद ही दूसरे ग्राहक को लाने लगेगा। आपको पचार करने की भी जरूरत नहीं।

कई बार लोगों को एकदम कम मार्जिन या बिना मार्जिन के भी कपड़े ग्राहक को बेचना पड़ता है।

उसके यहाँ जितने भी लड़के काम करते है उसको कभी ये नहीं लगता है। की वो किसी और के यहाँ काम करता है। जिसके वजह से स्टाफ लोग और दिल से काम करते हैं।

नोट :- हम लोग बड़े -बड़े लोगों के मोटिवेशनल स्पीच को सुनते है और अगले दिन भूल जाते हैं सिखने के लिए हम अपने आस पास के लोगों से भी सीख सकते हैं कई लोग ये सोचते अरे ये काम तो छोटे लोग करते हैं परतुं एक समय के बाद ये लोग उसी की तारीफ करते हैं ,एक बात गाँठ बाँध लीजिये कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर आप में लगन तो आप भी ऊचाइयों को पा सकते हैं। जितने भी लोगों ने आज उचाईयों को छुआ है। एक समय में उन्होंने भी पहली सीढी से सुरुवात की थी।

काम को शुरू कीजिये सफलता आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी। किसी काम को करके अगर आप नाकामी भी हासिल करते हैं तो वो आपकी मंजिल की पहली सीढी होती है। क्योंकि असफलता ही सफलता की और ले जाती है।

अगले ब्लॉग में आप लोगों लिए एक नयी सच्ची कहानी ले के आऊँगा। अगर आपको मेरा ब्लॉग पसंद आया होतो निचे कमेंट करें। कहाँ से हैं नाम भी शेयर करें। जिस से मुझे आप लोगों के लिए नये पोस्ट लिखने की प्रेरणा मिलेगी।

8 thoughts on “फुटपाथ से ऊपर मंजिल |”

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