online padhai ke nukasan | ऑनलाइन पढ़ाई के नुकसान ।

online padhai ke nukasan | पढ़ाई के नुकसान । स्कूल में एक अलग सा माहौल रहता था। ब्लैक बोर्ड पर पढ़ने से बच्चों के आंखों पर जोड़ नहीं पड़ता था क्योंकि ब्लैक बोर्ड और स्टूडेंट के बीच अच्छी दूरी होती थी जिसके कारण उन्हें साफ-साफ और स्पष्ट रूप से दिखाई देता था।कहीं बाहर टीचर लोग थोड़ी लेट से आते थे तब तक बच्चे अपनों में बातें करते थे। स्पोर्ट के लिए अलग टाइम होता था। बच्चे शारीरक एवं मानसिक रूप से फिट रहते थे। जिसके कारण उनमें हंसी – ख़ुशी का माहौल रहता था। बच्चे खुश रहा करते थे आंखों की समस्या ना के बराबर आती थी

कोरोना की वजह से स्कूल कॉलेजों के बंद हो गए थे। जिसके कारण बच्चों की पढाई छूट रही थी। इस समस्या को देखते हुए ऑनलाइन क्लास की शुरुवात की गई। क्लासेज तो शुरू हो गये। परन्तु बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास के लिए सुविधा नहीं थी। बच्चे ऑनलाइन क्लास मोबाइल से क्लास करने लगे। ऑनलाइन क्लास के लिए लैपटॉप या टैबलेट पढाई करना ज्यादा आसान होता है। क्योंकि इसका आकार बड़ा होता है। जिन बच्चों के पास ये सुविधा नहीं थी वो अपने मोबाइल से पढ़ने लगे चूँकि मोबाइल का स्क्रीन छोटा होता है। तो बच्चे मोबाइल को पास से देखने लगते हैं। अक्सर आदमी जब पढ़ाई या काम करता है तो उसकी नजरें स्क्रीन पर होती है। जिसके कारण आँखों के पलकों का झपकना कम हो जाता है। और आंखों की परेशानियाँ उत्पन होने लगते हैं। ऑनलाइन क्लास में कम से कम 4 घंटे बच्चों को लैपटॉप , टैबलेट या मोबाइल के सामने बैठना पड़ता है। ऑनलाइन क्लास के वजह से बच्चों में होने वाले परेशनियों को जाने।

ऑनलाइन क्लास के नुकसान ,।

  • आमतौर पर 1 मिनट में आँखों के पलक 25 से ज्यादा झपकते हैं। जितनी बार पलक ऊपर निचे होते हैं आँखों में नमी एक परत चढ़ा देते हैं। लेकिन घंटों मोबाइल ,लैपटॉप ,या टैबलेट की स्क्रीन को देखने पर आँखों में हलचल कम होने लगता है।जिसके कारण आँखों में आंसू नहीं बनते, आँखों में सूखेपन की शिकायत आने लगती है। चेहरे तथा आँखों के निचे , और आँखों में जलन होने लगती है।
  • बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो रहे है। घंटो स्क्रीन देखने के कारण मन घूमना ,मितली आना, उल्टी जैसा महसूस होता है।
  • कई बार बच्चे एक ही कमरे में बैठ कर बोर हो जाते हैं, पढाई से ध्यान भंग होने लगता है।
  • घर में ही रह कर पढाई करने से बच्चे अपने पैरेंट की बातों को उन सुना करने लगते हैं।
  • बच्चों में लिखने की आदत ख़राब हो रही है। राइटिंग ,किताब पढ़ना धीरे -धीरे छूट रहा है।
  • बच्चों को बेवजह चश्मा पहना पड़ता है। आजकल आंखों के डॉक्टर के यहां मरीजों की संख्या लगभग 80% तक बढ़ गई है जिनमें से बच्चों की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है

कुछ छोटे उपायों के इस्तेमाल से आंखों किस समस्या कम किया जा सकता है ।

  • जिनके घरों में लैपटॉप या टेबलेट हो वे लोग ऑनलाइन पढ़ाई के वक्त हमेशा यह कोशिश करें पढ़ाई लैपटॉप या टेबलेट से हो जब तक बहुत जरूरी ना हो मोबाइल का उपयोग ना करें
  • हर 10 मिनट पर थोड़ी देर के लिए अपने सर को दाएं बाएं घूम आए जिसके कारण आपकी नजरें स्क्रीन पर से हट जाएंगी और आंखों की पुतलियां भी रिलैक्स होंगे
  • पढ़ाई के बाद अपने पलकों को बार-बार झपकते रहे।
  • लैपटॉप मोबाइल टेबलेट को अपनी आंखों से एक निश्चित दूरी पर रख दें कभी भी मोबाइल या टेबलेट हाथ में लेकर ना पड़े। क्योंकि जब जब आप हाथ में लेकर पढ़ाई करते हैं धीरे धीरे मोबाइल को आप अपने आंखों के एकदम करीब लेकर आ जाते हैं। अभी आपको पता भी नहीं चलता चलता है एक एक निश्चित दूरी पर रखने से यह समस्या दूर हो जाती है।
  • मोबाइल या टेबलेट के फोंट को पढ़ाई के वक्त बड़ा करके रखें जिसके कारण आपको शब्द अच्छे से दिखाई पड़ेंगे मोबाइल में लैंडस्केप में ही पढ़े
  • पढ़ाई के लिए एक एंटी ब्लू रे गिलास वाले चश्मे को अवश्य पहने ।
  • हर आधे घंटे पर अपने जगह से दस कदम इधर-उधर चहल कदमी जरूर करें। अपने सर को चारों ओर घुमाएं आंखों को ऊपर नीचे अगल बगल घुमा के वस्तुओं को देखने की कोशिश करें जिसके कारण आंखों की मांसपेशियों में खिंचाव कम होगा खून का संचार सभी दिशाओं में होगा
  • जब तक जरूरी ना हो कंप्यूटर या लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल कम करे
  • आजकल जितने भी बच्चे डॉक्टर के पास जाते हैं उनकी आंखें सही होती हैं वह समस्या सिर्फ आंखों में सूखे पन की हो रही है।
  • आंखों में ठंडे पानी से छींटे मारते रहना चाहिए जिससे चेहरे पर ताजगी बनी रहे।

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