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मेयर /महापौर का चुनाव कैसे होता है।

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 मेयर /महापौर का चुनाव कैसे होता है। आसान भाषा में समझे मेयर/और महापौर की पूरी चुनावी प्रक्रिया के बारे में। आगामी मेयर चुनाव की प्रक्रिया पूरी तरह से बदल गई है अब कोई भी आम आदमी चाहे तो सीधे मेयर का चुनाव लड़ सकता है पहले मेयर के चुनाव की प्रक्रिया थोड़ी जटिल थी। जिसकी वजह से अन्य लोग मेयर का चुनाव नहीं लड़ते थे। आइए जाने इस बार मेयर के चुनाव की सारी प्रक्रियाओं को

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इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया को विस्तृत रूप से जानने के लिए हमें वार्ड कमिश्नर के चुनाव प्रक्रिया को पहले जाना चाहिए।

 वार्ड कमिश्नर/पार्षद का चुनाव प्रक्रिया

 किसी भी शहर के कानून प्रक्रिया के अलावा पूरी देखरेख के लिए जिम्मेदार वहाँ के नगर प्रशासन होते हैं शहर के अंदर जनसंख्या के आधार पर वार्ड का निर्माण किया जाता है प्रत्येक वार्ड के लिए वार्ड कमिश्नर का चुनाव कराया जाता है इस चुनाव में भाग लेने के लिए प्रत्याशी खड़े होते हैं जो चुनावी आचार संहिता और निर्देशों का पालन करते हैं तथा मांगी गई दस्तावेजों को जमा कर चुनाव लड़ते हैं चुनाव में एक या अधिक प्रत्याशी चुनाव लड़ सकते हैं जब प्रत्याशियों की संख्या 1 से अधिक हो जाती है तब चुनाव आयोग के द्वारा वहाँ पर वार्ड कमिश्नर का चुनाव करवाया जाता है परंतु किसी कारणवश कोई  एक ही प्रत्याशी चुनाव में खड़ा होता है तब उसे निर्विरोध घोषित कर दिया जाता है वह प्रत्याशी बिना चुनाव लड़े हैं वार्ड कमिश्नर बन जाता है

 एक शहर  में लगभग जनसंख्या के आधार पर 30 से 40 वार्ड कमिश्नर होते हैं वार्ड कमिश्नर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से वहाँ के जनता द्वारा वोटिंग के माध्यम से किया जाता है उम्मीद है कि अब आप लोगों को वार्ड कमिश्नर के चुनाव प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिल गई होगी। आइए जाने मेयर चुनाव की प्रक्रिया के बारे में

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पिछले सत्र में मेयर /महापौर चुनाव की प्रक्रिया।

पिछले चुनाव सत्र में मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता था। मतलब जितने भी वार्ड कमिश्नर चुनाव जीतकर आते थे। उनमें से ही कोई मेयर और उप मेयर पद के लिए खड़े होते थे। जिनका चुनाव वहाँ पर उपस्थित अन्य वार्ड कमिश्नर अपना वोट डालकर करते थे। जिस पक्ष को ज्यादा वोट मिलता था। वे नगर निगम के मेयर का पद पर आसीन होते थे।

पिछले सत्र में मेयर /महापौर चुनाव की प्रक्रिया में होने वाली खामियाँ।

  •  पिछले सत्र में अगर किसी को मेयर का चुनाव लड़ना होता था। तब उस व्यक्ति को वार्ड कमिश्नर का चुनाव भी लड़ना आवश्यक होता था। बिना वार्ड कमिश्नर के चुनाव लड़े कोई भी व्यक्ति मेयर के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इस परिस्थिति में कई बार प्रत्याशी अपने ही वार्ड में दूसरे प्रत्याशियों से हार जाते थे। जिसकी वजह से मेयर बनने का उनका सपना अधूरा रह जाता था।
  • अगर कोई प्रत्यासी वार्ड कमिश्नर के चुनाव में जीत भी जाते थे। तब भी उन्हें मेयर पद का चुनाव लड़ने के लिए जीत के आए हुए अन्य वार्ड कमिश्नर को अपनी ओर आकर्षित करना होता था कि लोग उनके पक्ष में वोट करें।
  •  इस पूरी प्रक्रिया में कई बार अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए अंदरुनी रूप से पैसों का लेनदेन भी किया जाता था।
  • जिन लोगों के द्वारा वोटिंग करके  प्रत्याशी को मेयर बनाया जाता था। वे लोग एकजुट होकर कभी-कभी बैठक में होने वाले मुद्दों पर हावी हो जाते थे। जिसकी वजह से अहम फैसले लेने में  मेयर को कठिनाई होती थी।

जाने मेयर /महापौर चुनाव के नई प्रक्रिया के बारे में

  • जैसा कि आप लोगों ने पिछले सत्र में होने वाली चुनावी प्रक्रिया तथा इसके खामियों के बारे में पढ़ा इन्हीं सारी खामियों को दूर करने के लिए तथा चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए सत्र में वार्ड कमिश्नर और मेयर का चुनाव अलग-अलग करवाने का निर्देश चुनाव आयोग के तरफ से दिया गया है।
  • वे लोग जो सिर्फ वार्ड कमिश्नर का चुनाव लड़ना चाहते हैं वे सिर्फ वार्ड कमिश्नर का पर्चा भरेंगे।
  •  मेयर का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को मेयर पद के लिए पर्चा भरने की आवश्यकता होगी।
  •  वार्ड कमिश्नर और मेयर के लिए आम जनता वोट करेंगे जनता के मतों से वार्ड कमिश्नर और मेयर पद के उम्मीदवारों का भाग्य तय होगा।

नए सत्र में चुनाव प्रक्रिया के फायदे

  • दोनों पदों का चुनाव अलग अलग होने से प्रत्याशी अपने इच्छा अनुसार पद के लिए पर्चा भर सकते हैं
  •  इसमें प्रत्याशी के मन का भय खत्म हो जाएगा उन्हें सिर्फ जनता के पास वोट के लिए जाना होगा।
  •  अंदरुनी रूप से पैसों के लेनदेन पर लगाम लगेगा।
  •  पहले बाहुबली या दबंग छवि के प्रत्याशी छोटे प्रत्याशियों पर हावी होकर अपने पक्ष में वोट डलवा लेते थे और मेयर पद पर आसीन हो जाते थे।
  •  अब  मेयर स्वतंत्र रूप से अपने कार्यों का निष्पादन कर सकते हैं उन पर अन्य वार्ड कमिश्नरों का दबाव नहीं रहेगा।

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